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Wednesday 15 February 2012

क्या हो रहा है!!!

प्रेम का धागा छुटे ते न छुटे ! "रहीम" के यह शब्द कितने मिठास है . एक योद्धा होने के बावजूद भी वोह शायद एक भावुक व्यक्ति थे . 

पर आज न जाने क्यूँ इंसानों की भावूकता बिलकुल सी ख़तम हो चुकी है. हर रोज कही न कही, कुछ ऐसी घटना घाट रही है - जो हमारी दिल को झंझोर दे रहा हैं.


ये क्या हो रहा है - छोटे बच्चो का बलात्कार ! बच्चों की न्रिशंश हत्या ! छात्रों के द्वारा शिक्षक की क़त्ल ! पत्नी पति की क़त्ल करने के बाद उसकी मांस का कोरमा बनाकर खाना !


यह सुनने को इतनी घिन आती है और न जाने यह शैतानी दरिन्दे इसे अंजाम देने के बाद भी खुले आम सडको में घूम रहे है.


मुझे इस बात का ज्ञात नहीं है की वोह कानून की किस धरा से जेल से छुटकर बहार घूम रहे है. पर यह बात तो सच है की जिस ने भी सच को बदलकर एक शैतान को बाहर घुमने की इजाज़त दी ओउर जिसने उसकी मदद की - उसे शायद अपनी परिवार की भी चिंता नहीं है. बस उसे इतना ही मालूम है की इस से उसे मूह मांगी किमात मिलेगी और बड़ी पुब्लिसिटी मिलेगी.

मुझे यह लगता की यह और कुछ नहीं बस शिक्षा की कमी.

पर ऐसे कई घटनाये घाट चुकी है जिसमे देखा गया की कातिल काफी पढ़ा लिखा था. और इससे और डर लग जाता है की educated होने ke बावजूद भी कितनी क्रूरता से ऐसे काम करते है. 

पर जो भी हो क्या हम ऐसे लोगो की कोई पैरबी कर सकते हैं. क्यूँ नहीं हम ऐसी कोई कानून लाये जिसके द्वारा इन लोगो की quick फैसला हों और कठोर सजा सुनाई जाए . और जो एक दृष्टांत बन जाये.  

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